2025 में दीपावली कब है? । 2025 me deepawali kab hai

भारत त्योहारों की भूमि है। यहाँ हर महीने कोई न कोई पर्व और उत्सव मनाया जाता है। इन पर्वों में दीपावली और छठ पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली जहाँ पूरे देश में दीप, मिठाई और उल्लास का पर्व है, वहीं छठ पूजा खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में आस्था और श्रद्धा का महापर्व माना जाता है। दोनों ही त्योहार एक-दूसरे से जुड़े हुए समय पर आते हैं और कार्तिक माह की शुभता को कई गुना बढ़ा देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि 2025 में दीपावली और छठ पूजा कब है तथा इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है।


2025 में दीपावली कब है? । 2025 me deepawali kab hai

2025 में दीपावली कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावली हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। यह तिथि अमावस्या की रात को आती है, जब घर-घर में दीप जलाए जाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

साल 2025 में दीपावली 21 अक्टूबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की विशेष पूजा की जाती है। दीपावली से पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी और गोवर्धन पूजा जैसे उत्सव भी मनाए जाते हैं।

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2025 में छठ पूजा कब है?

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का पर्व है। यह दीपावली के कुछ ही दिनों बाद आता है।

साल 2025 में छठ पूजा 27 अक्टूबर, सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
छठ पर्व कुल 4 दिनों तक चलता है—

  1. नहाय-खाय (पहला दिन) – 24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
  2. खरना (दूसरा दिन) – 25 अक्टूबर 2025, शनिवार
  3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन) – 26 अक्टूबर 2025, रविवार
  4. प्रातः अर्घ्य (चौथा दिन) – 27 अक्टूबर 2025, सोमवार

दीपावली का महत्व

दीपावली सिर्फ रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में पूरे नगर को दीपों से जगमगाया था।

इसके अलावा इस दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस पर्व पर विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा की जाती है। व्यापारी वर्ग भी इस दिन अपनी नई खाता-बही की शुरुआत करता है।


छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है। इसे सबसे कठिन और पवित्र व्रतों में गिना जाता है। इसमें व्रती बिना जल और भोजन के उपवास रखते हैं और डूबते तथा उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

यह पर्व प्रकृति और पर्यावरण से गहराई से जुड़ा है। तालाब, नदियाँ और घाट इस समय भक्तों से भर जाते हैं। लोक मान्यता है कि छठी मैया संतान सुख और परिवार की समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।


दीपावली और छठ पूजा का संबंध

दीपावली और छठ पूजा के बीच लगभग 5-6 दिन का अंतर होता है। दीपावली पर जहां घर-घर दीपों से सजते हैं, वहीं छठ पूजा पर नदी-घाट दीप और गीतों से गूंज उठते हैं। दोनों त्योहार भारतीय संस्कृति और आस्था की गहराई को दर्शाते हैं।


धार्मिक दृष्टि से विशेष संयोग (2025)

साल 2025 में दीपावली मंगलवार को और छठ पूजा सोमवार को पड़ रही है। मंगलवार को दीपावली होने से मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव रहेगा, जिससे साहस और उत्साह में वृद्धि होगी। वहीं सोमवार के दिन छठ पूजा होने से शिव और सूर्य की कृपा एक साथ प्राप्त होने की मान्यता है।


निष्कर्ष

दीपावली और छठ पूजा भारतीय संस्कृति के सबसे पवित्र और लोकप्रिय पर्व हैं। दीपावली अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला उत्सव है, जबकि छठ पूजा अनुशासन, आस्था और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का पर्व है।

2025 में दीपावली 21 अक्टूबर को और छठ पूजा 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
दोनों ही त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी देते हैं। जब दीपावली की जगमगाहट और छठ के गीत एक साथ गूंजते हैं, तो भारत की आध्यात्मिकता और परंपरा की सुंदरता और अधिक उज्ज्वल हो उठती है।

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